लेह में फिर से पाबंदियां लगाई गईं
लेह/जम्मू, । लद्दाख के लेह जिले में शांति में खलल की आशंका और इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते अधिकारियों ने शुक्रवार को फिर से पाबंदियां लगा दीं।
यह कदम अधिकारियों द्वारा लेह में पाबंदियां हटाने के बमुश्किल दो दिन बाद उठाया गया है। ये पाबंदियां पहली बार 24 सितंबर को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के दर्जे की मांग को लेकर प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बाद लगाई गई थीं। झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) द्वारा 18 अक्टूबर को लद्दाख में दो घंटे के ‘मूक मार्च’ और तीन घंटे के ‘ब्लैकआउट’ की अपील के मद्देनजर ये पाबंदियां फिर से लगा दी गईं। पिछले महीने हुई हिंसा में मारे गए चार लोगों और गंभीर रूप से घायल हुए लोगों के परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इस मार्च की अपील की गई।
एलएबी ने एक बयान में कहा कि यह प्रदर्शन हिरासत में लिए गए युवाओं की रिहाई में देरी का विरोध करने के लिए भी है।
जिला प्रशासन ने 24 सितंबर को लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी किए, जिसमें पांच या उससे ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई। अधिकारियों ने बताया कि तब से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है।
जिलाधिकारी रोमिल सिंह डोंक द्वारा जारी आदेश में कहा गया, “लेह के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से आज मिली रिपोर्ट के मुताबिक, लेह तहसील के इलाके में शांति में खलल, इंसानी जान को खतरा और कानून-व्यवस्था की समस्या होने की आशंका है।”
डोंक ने कहा कि लोक व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए तुरंत एहतियाती उपाय ज़रूरी हैं। डोंक ने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, बीएनएसएस की धारा 163 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, मैं निर्देश देता हूं कि लेह तहसील के अधिकार क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों का इकट्ठा होना प्रतिबंधित रहेगा।’’
मंगलवार को, एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की अपनी मांग के समर्थन में नए विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
शुक्रवार को, केंद्र ने विरोध कर रहे समूहों की एक मुख्य मांग को पूरा करने के लिए 24 सितंबर की हिंसक झड़पों की उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्याधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच की घोषणा की।
पुलिस ने प्रदर्शनों का एक अहम चेहरा पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिंसा भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया। वांगचुक अभी जोधपुर जेल में बंद हैं।