मंजुल भारद्वाज की कविता- एक अनन्त खोज है …

कविता

एक अनन्त खोज है …

-मंजुल भारद्वाज

कल्पना और बुद्धि का

इंसानी स्वरूप है कला !

 

कल्पना जड़ता को तोड़ती है

बन्धनों को खोलती है !

 

मौत को परास्त कर

जीवन को अनन्त बनाती है !

 

सारी बंद खिडकियों को खोलती है

इस व्यापक,समग्र खुलेपन को

दिशा,उद्देश्य और मार्ग

प्रदान करती है बुद्धि !

 

जो विवेक के सत से

दुनिया को खूबसूरत बनाती है !

 

कल्पना का

बुद्धि का

कला का

कोई मुकाम नहीं होता !

 

जितना गहरा उतरता हूँ

गहराई और बढ़ जाती है !

 

कल्पना की राह

बुद्धि की थाह

कला का सौन्दर्य

एक अनन्त खोज है …

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