जनवादी लेखक संघ रोहतक का सम्मेलन संपन्न, नई कार्यकारिणी का गठन
संगठन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बजरंग बिहारी तिवारी बोले,अच्छे साहित्य और साहित्यकारों को समाज से दूर करने की कोशिश
प्रदेश अध्यक्ष जयपाल ने कहा – जनता के सवालों को तलाशने की जरूरत
रोहतक। जनवादी लेखक संघ, रोहतक का ज़िला सम्मेलन रविवार 3 अगस्त को स्कॉलर्स रोज़री प्रिपेरेटरी स्कूल में आयोजित किया गया। सम्मेलन में लगभग 60 लोगों ने भागीदारी की। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव प्रोफेसर बजरंग बिहारी तिवारी ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के दलित लेखक जय प्रकाश ने “समय की आदमखोर धुन” नामक अपनी रचना में भारत देश की खोखली होती जा रही समाज व्यवस्था की आहट पाठकों के लिए प्रस्तुत की।यह रचना 2014 के बाद के भारत की तस्वीर का वर्णन करने का समूचा प्रयास है। उस रचना में कहानीकार देश में भीड़ का उत्पात लगातार बढ़ता हुआ देखते हैं और दलित वंचित समाज के उत्पीड़न को बढ़ता पाते हैं।
बजरंग बिहारी जी ने कहा कि आज समय बड़ा ही विकट आया हुआ है। अच्छे साहित्य और साहित्यकारों को समाज से दूर करने के भरसक प्रयास किए जा रहे है। लोगों को सड़कों पर आने नहीं दिया जा रहा हैं। अब का समय ऐसा है जिसमें संवाद की सख्त जरूरत है। जब समाज का अध्यापक, बुद्धिजीवी और डॉक्टर डरने लगता है तो उस समाज में न्याय का साम्राज्य ध्वस्त होने लगता है। आज निश्चित कुछ भी नहीं है, राज्य का स्वरूप लगातार बदल रहा है।
उन्होंने महाकवि तुलसीदास के हवाले से कहा कि देव सत्ता को या किसी भी सत्ता को बने रहने के लिए चार तत्त्व चाहिए होते है, वह डराती है, भ्रम फैलाती है, नफरत का रास्ता अख्तियार करती है, लोग उदासीन होने लगते है। इस प्रकार सत्ता अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब होती है। सभी न्यायसंगत लोगों को बुराई को हराने के लिए एकजुट होना जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए साँझेपन का भाव होना आवश्यक है। हमें लड़ाई सभी मोर्चों पर लड़नी होगी।
जनवादी लेखक संघ के राज्य अध्यक्ष जयपाल ने भविष्य के कार्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जनवाद का मतलब है, लोकतंत्र। जनवादी लेखन जिसमें जनता के सवाल हों, जो सभी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक पक्षों को छूते हों। उन सबके हल तलाशने चाहिए। आम लोगों से दूरी कम हो। हमारी रचनाएँ सरल और सभी लोगों को समझ में आने वाली हों।
आज हम ये समझ पाने में सक्षम नहीं हैं कि समाज में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अभी भी भेदभाव विद्यमान है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा। समाज में बहुत सारी घटनाएं अभी दबी हुई है। अभी अंधविश्वास अपनी जड़ें जमाये हुए है। बहुत बड़ा वर्ग इस कार्य में संलिप्त है। समाज में महिलाओं की स्थिति पर लिखना होगा।
इंद्रजीत, अरविंद और राजबीर बजाड़ ने वक्तव्य पर टिप्पणी की। प्रीति और जयपाल ने अपनी कविताएँ सुनाईं।
अध्यक्ष मंडल में रिटायर्ड प्रिंसिपल महावीर शर्मा, जनवादी लेखक संघ के राज्याध्यक्ष जयपाल, मंगतराम शास्त्री, श्रीमती रणबीर राठी और जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव श्रद्धानंद राजली शामिल रहे।
जिला की नई कार्यकारिणी का प्रस्ताव प्रमोद गौरी ने रखा जिसका सभी सदस्यों ने अनुमोदन किया। महावीर शर्मा, डॉ. आर. एस. दहिया (संरक्षक मंडल), प्रमोद गौरी, मनीषा , मंजीत राठी, नरेश प्रेरणा, सुरेखा, राजेश दलाल, अंकित, शिवम, राजेन्द्र हुड्डा, अविनाश सैनी, अनुराधा, दुष्यंत, सुरेंद्र, सोनिया नारंग, रामधारी खटखड़, संगीता, कृष्ण नाटक, सुधीर दांगी, प्रीति और शबनम राठी का चुनाव किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन मनीषा ने किया।