जलेस ने जींद में मुंशी प्रेमचंद, शहीद उधम सिंह और मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी

जलेस ने जींद में मुंशी प्रेमचंद, शहीद उधम सिंह और मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी

31जुलाई को स्थानीय मजदूर भवन,धागा मिल कालोनी जींद में जनवादी लेखक संघ की जींद जिला इकाई ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती,शहीद उधमसिंह के शहीदी दिवस व मुहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सेमिनार व कविता पाठ का आयोजन किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता  जलेस जींद के संरक्षक पूर्व प्राचार्य  धर्मपाल पांचाल व ज्ञान विज्ञान समिति के जिलाध्यक्ष  सोहनदास ने की। मंच का संचालन मंगतराम शास्त्री ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत संगीत के प्राध्यापक चमन लाल व आदर्श कुमार ने मुहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत ” तूं हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा” गीत गाकर की।

” प्रेमचंद के साहित्य में जनपक्षीय स्वर” विषय पर डा. कपिल भारद्वाज ने वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य को नयी दिशा प्रदान की। उनकी साहित्य यात्रा उर्दू से शुरू होती है,तब वे धनपत राय व नवाब राय नाम से लिखते थे।। उनकी पुस्तक सोजे वतन को अंग्रेजी शासन ने जब्त कर लिया था । बाद में हिंदी भाषा में लिखना शुरू किया।

प्रेमचंद ने उसी तरह के सुराज की परिकल्पना की थी जैसी परिकल्पना भगतसिंह और भीमराव अम्बेडकर ने की थी। प्रेमचंद ने अपने निबंधों में साम्प्रदायिकता पर भयंकर चोट की है ,इसी वजह से उन्हें हिंदू विरोधी भी कहा गया।

डाक्टर भारद्वाज ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद उपन्यास सम्राट के साथ ही बहुत साहसी साहित्यकार भी थे। उनकी साहित्य यात्रा का उत्कर्ष ‘गोदान’ उपन्यास में देखा जा सकता है।

कार्यक्रम में शहीद उधमसिंह की शहादत पर बोलते हुए डॉ सुधीर नैन ने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का उधमसिंह के बालमन पर गहरा प्रभाव पड़ा जिसका 21 वर्ष बाद इंग्लैंड में जाकर 1940 में गवर्नर जनरल माइकल डायर को मारकर उसका बदला लिया। उन्होंने साबित कर दिया कि दुनिया के किसी बड़े से बड़े ताकतवर को भी हराया जा सकता है।

उधमसिंह सामाजिक सद्भावना के प्रतीक थे, इसी वजह से अपना नाम ‘राम मुहम्मद सिंह आजाद’ बताया। सुधीर नैन ने कहा कि आज हजारों उधमसिंह चाहिये जो बदली हुई परिस्थितियों में बदले हुए साधनों के साथ संघर्ष करें।

इस मौके पर आजाद जुलानी ने उधमसिंह को याद करते हुए रागनी पढ़ी,” आवैं सैं शहीदों के ख्वाब,दिक्खै जलियांवाला बाग,आग दिल में लगी”।

जलेस के अध्यक्ष राममेहर सिंह खर्ब ने दोहे भी पढ़े और रागनी पढ़ी। इसकी बानगी देखिए:-

” धर्म धर्म की धमाचौंकड़ी धर्म का तूं आधार बता

ऐसे में मैं तेरे धर्म को कैसे करता स्वीकार बता”।

आयोजन के अध्यक्ष धर्मपाल पांचाल ने कार्यक्रम ने कहा कि  ऐसे आयोजनों की निरंतरता बनाए रखनी चाहिए। कार्यक्रम को सुधीर शास्त्री, रामफल दहिया, कामरेड रमेश ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर रमेश भनवाला, राजकुमार श्योकंद, बलवान क्रांतिकारी, कामरेड कपूर सिंह, अशोक खर्ब, धर्मबीर ललितखेड़ा, जसपाल, शमशेर गांगोली, आजाद पांचाल, डाक्टर मुरारी लाल, अनिल, वेदप्रकाश, पवनकुमार सहित पचासों लोगों ने भाग लिया।

अंत में  सोहनदास ने धन्यवाद ज्ञापित कर आयोजन का समापन किया

रिपोर्ट -मंगतराम शास्त्री