मुनेश त्यागी की कविता- आओ दिए जलाएं

 आओ दिए जलाएं

मुनेश त्यागी

 

आओ दिए जलाएं…

समता के

समानता के

जनतंत्र के

गणतंत्र के।

 

आओ रोशन करें …

नफरत भरे दिमागों को

अंधेरी बस्तियों को

घनघोर अंधेरों को

बुझा दिए गए दियों को।

 

आओ रोशन करें …

बंद और कुंड दिमागों को

असमानता के शासन को

भुलाए वादों और नारों को

मार दिए गए भाईचारे को।

 

आओ दिए बुझायें…

जातिवाद के

सांप्रदायिकता के

अंधविश्वास के

नफरत और हिंसा के।