गरीबों के प्रति चिंता और करुणा का भाव रखने वाले पहले लैटिन अमेरिकी पादरी पोप फ्रांसिस का निधन

पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी पादरी विनम्र स्वभाव करुणा निधन

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वेटिकन सिटी। अपने विनम्र स्वभाव और गरीबों के प्रति चिंता एवं करुणा का भाव रखने वाले तथा एक सहृदय पोप के रूप में विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कैथोलिक समुदाय के पहले लैटिन अमेरिकी पादरी, पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे।

फ्रांसिस के निधन के बाद अब सप्ताह भर चलने वाली वह प्रक्रिया शुरू हो गई, जिसमें लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। सबसे पहले, सेंट मार्टा चैपल में वेटिकन के अधिकारी और फिर सेंट पीटर्स में आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

इसके बाद, कार्डिनल्स कॉलेज के डीन कार्डिनल जियोवनी बैटिस्टा रे द्वारा उनका अंत्येष्टि कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और नये पोप को चुनने के लिए एक बैठक होगी।

पोप के निधन की घोषणा के बाद, पूरे रोम में चर्च के टावर के घंटे बजने लगे।

कार्डिनल केविन फेरेल ने फ्रांसिस के निधन की घोषणा डोमस सेंट मार्टा के चैपल से की, जहां फ्रांसिस रहते थे।

कार्डिनल फेरेल वेटिकन के कैमरलेंगो हैं। कैमरलेंगो की पदवी उन कार्डिनल या उच्चस्तरीय पादरी को दी जाती है जो पोप के निधन या उनके इस्तीफे की घोषणा के लिए अधिकृत होते हैं।

फेरेल ने घोषणा की, ‘‘रोम के बिशप, पोप फ्रांसिस आज सुबह 7.35 बजे (प्रभु)यीशु के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु यीशु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित रहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (पोप ने) हमें निष्ठा, साहस और सार्वभौम प्रेम के ईसोपदेश के मूल्यों के साथ जीना सिखाया, विशेष रूप से सबसे गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए।’’

फ्रांसिस के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में शामिल फेरेल ने कहा कि प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में अपार कृतज्ञता के साथ, ‘‘हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को’’ ईश्वर के असीम, दयालु प्रेम को सौंपते हैं।

पोप फ्रांसिस ने पिछले साल कई रीति-रिवाजों में संशोधन किया था। उन्होंने अंतिम संस्कार की रस्मों को सरल बनाया ताकि वेटिकन के बाहर दफनाने की अनुमति दी जा सके।

इन सुधारों की व्याख्या करते हुए, आर्चबिशप डिएगो रवेली ने कहा कि इसका उद्देश्य ‘‘इस बात पर और अधिक जोर देना है कि पोप का अंतिम संस्कार एक पादरी और प्रभु यीशु के अनुयायी के रूप में हो, न कि इस दुनिया के किसी शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में।”

अंतिम संस्कार की रस्मों में किये गए बदलाव के बाद अब पोप के पार्थिव शरीर को साइप्रस, सीसे और ओक से बने पारंपरिक ताबूत में रखने की आवश्यकता नहीं है। अब, पोप के पार्थिव शरीर को लकड़ी के ताबूत में रखा जाता है, जिसके अंदर जस्ते की एक परत होती है।

फ्रांसिस ने कहा था कि वह सेंट पीटर बेसिलिका या उसकी गुफा में नहीं, जहां ज्यादातर पोप को दफनाया गया है, बल्कि शहर के दूसरी ओर स्थित सेंट मेरी मेजर बेसिलिका में दफनाया जाना चाहते हैं।

पोप फ्रांसिस की अंत्येष्टि के साथ ही कैथोलिक चर्च का नौ दिनों का आधिकारिक शोक शुरू हो जाएगा।

फ्रांसिस फेफड़ों संबंधी रोग से पीड़ित थे और युवावस्था में उनकी सर्जरी के दौरान चिकित्सकों को उनके फेफड़े का एक हिस्सा निकालना पड़ा था।

पोप को 14 फरवरी 2025 को, सांस लेने में तकलीफ होने के कारण जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य से संबंधित इस समस्या ने बाद में ‘डबल निमोनिया’ का रूप ले लिया था। वह अस्पताल में 38 दिन भर्ती रहे थे, जो पोप के पद पर उनके 12 साल के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में (भर्ती) रहने की सबसे लंबी अवधि थी।

हालांकि, वह अपने निधन से एक दिन पहले, बीते ईस्टर रविवार को सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों लोगों को आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए और वहां उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।

कार्डिनल फेरेल ने कहा, ‘‘पोप फ्रांसिस ने चर्च को हमेशा सभी लोगों को समाहित करने के लिए विस्तारित किया और वह इससे किसी को भी बाहर नहीं रखना चाहते थे।’’

पोप के रूप में अपने पहले अभिवादन- एक उल्लेखनीय सामान्य ‘बुओनासेरा’ (शुभ संध्या) से लेकर शरणार्थियों और वंचितों को गले लगाने तक, फ्रांसिस ने पोप पद के लिए एक अलग ही मिसाल पेश की थी। उन्होंने घोटाले और उदासीनता के आरोपों से घिरे कैथलिक चर्च के लिए अहंकार की तुलना में विनम्रता पर जोर दिया।

साल 2013 में 13 मार्च की उस बरसात वाली रात के बाद, अर्जेंटीना में जन्मे जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो ने 2,000 साल पुरानी संस्था में नयी जान डाली थी, जिसका प्रभाव पोप बेनेडिक्ट 16वें के संकटपूर्ण कार्यकाल के दौरान कम होता चला गया था और जिनके अचानक इस्तीफे के कारण फ्रांसिस को चुना गया था।

लेकिन फ्रांसिस ने जल्द ही खुद के लिए मुसीबतें खड़ी कर लीं और ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ कैथलिक तक उनकी पहुंच एवं परंपरावादियों पर उनकी कार्रवाई की वजह से रुढ़िवादी लोग उनसे निराश हो गए।

उनकी सबसे बड़ी परीक्षा 2018 में आई जब उन्होंने चिली में पादरी यौन शोषण के एक कुख्यात मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उनके पूर्ववर्तियों के कार्यकाल में जो घोटाला हुआ था, वह उनके कार्यकाल में फिर से सामने आया।

फ्रांसिस ने लॉकडाउन में बंद वेटिकन सिटी से कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनियाभर में फैले धर्म का नेतृत्व करने की अभूतपूर्व क्षमता दिखाई।

उन्होंने दुनिया से अपील की थी कि कोविड-19 को आर्थिक और राजनीतिक ढांचे पर पुनर्विचार करने के अवसर के रूप में उपयोग किया जाए।

फ्रांसिस ने मार्च 2020 में खाली पड़े सेंट पीटर्स स्क्वायर में कहा था, ‘‘हमें एहसास हो गया है कि हम एक ही नाव पर सवार हैं, हम सभी कमजोर हैं।’’

लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महामारी ने इस जरूरत को रेखांकित किया है कि ‘‘हम सभी को एक साथ पार पाना होगा, हम सभी को एक-दूसरे को सांत्वना देने की जरूरत है।’’

फ्रांसिस को वेटिकन की नौकरशाही और वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने चर्च के मूल सिद्धांत को बदले बिना ही उसे बदलने का भी काम किया। जब उनसे कथित तौर पर एक समलैंगिक पादरी के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं कौन होता हूं इस पर फैसला करने वाला?’’

उनकी इस टिप्पणी को ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ समुदाय के स्वागत के रूप में देखा गया। उन्होंने 2023 में ‘एपी’ से कहा था, ‘‘समलैंगिक होना कोई अपराध नहीं है।’’

पोप फ्रांसिस ने मृत्युदंड पर चर्च के रुख में बदलाव लाते हुए क्षमादान पर जोर दिया था और मौत की सजा को हर हाल में अस्वीकार्य बताया था। उन्होंने परमाणु हथियार के इस्तेमाल को ही नहीं, उन्हें रखने को भी ‘अनैतिक’ बताया था।

कई अन्य पहलों में, उन्होंने चीन के साथ बिशप नामांकन पर एक समझौते को मंजूरी दी थी, जिसने दशकों से वेटिकन को उलझा रखा था।

उन्होंने पूर्णतः पुरुष प्रधान, ब्रह्मचारी पादरी होने पर जोर दिया था तथा गर्भपात के प्रति चर्च के विरोध को बरकरार रखा था।

पोप फ्रांसिस ने महिलाओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में शामिल किया। उन्होंने महिलाओं को समय-समय पर होने वाली वेटिकन बैठकों में बिशप के साथ वोट करने की अनुमति दी। इससे पहले तक लंबे समय से इस तरह की शिकायतें की जाती रहीं थीं कि महिलाएं चर्च का ज्यादातर काम करती हैं, लेकिन उन्हें सत्ता से वंचित रखा जाता है।

सिस्टर नैथली बेक्वार्ट, जिन्हें फ्रांसिस ने वेटिकन के सर्वोच्च पदों में से एक के लिए नामित किया था, ने कहा कि पोप ने एक ऐसे चर्च की सोच रखी थी जहां पुरुष और महिलाएं पारस्परिकता और सम्मान के रिश्ते में रहते हुए काम करें।

फ्रांसिस ने महिलाओं को विधिवत पादरी बनाने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन चर्च कैसा होना चाहिए, इस पर जोर देने में मतदान सुधार एक क्रांतिकारी बदलाव का हिस्सा था।

पोप फ्रांसिस के साथ बैठकों के लिए प्रवासियों, गरीबों, कैदियों को राष्ट्रपतियों या शक्तिशाली उद्योगपतियों की तुलना में कहीं अधिक बार आमंत्रित किया गया था।

फ्रांसिस ने 2016 में मेक्सिको के दौरे के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बारे में कहा था कि जो कोई भी प्रवासियों को बाहर रखने के लिए दीवार बनाता हो, वह “ईसाई नहीं है”।

पोप फ्रांसिस एपोस्टोलिक पैलेस के बजाय वेटिकन होटल में रहते थे, पोप के लाल लोफर्स के बजाय अपने पुराने ऑर्थोटिक जूते पहनते थे और छोटी कारों में घूमते थे।

उन्होंने 2013 में एक ईसाई पत्रिका से बातचीत में कहा था, ‘‘मैं स्पष्ट रूप से देखता हूं कि आज चर्च को जिस चीज की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह है घावों को भरने की क्षमता और उसमें आस्था रखने वालों को स्नेह देना।’’

कौन कार्डिनल अगला पोप बनने के दावेदार हैं?

पोप के चयन की प्रक्रिया बहुत पवित्र और गोपनीय होती है और यह कोई लोकप्रियता की प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह चर्च द्वारा ईश्वरीय प्रेरणा से किया गया चयन होता है।

फिर भी, हमेशा अग्रणी उम्मीदवार होते हैं, जिन्हें “पापाबिले” के नाम से जाना जाता है, जिनमें कुछ ऐसे गुण होते हैं जो पोप बनने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। बहुत कुछ वैसे ही जैसे पिछले वर्ष की ऑस्कर-नामांकित फिल्म “कॉन्क्लेव” में दर्शाये गए थे।

बपतिस्मा प्रक्रिया से गुजरा कोई भी कैथोलिक पुरुष पोप बनने के लिए पात्र होता है। पोप उस व्यक्ति को चुना जाता है जिसे कार्डिनल के कम से कम दो-तिहाई वोट प्राप्त होते हैं।

मीडिया रिपोर्टों में कुछ संभावित उम्मीदवार:

कार्डिनल पीटर एर्दो

बुडापेस्ट के आर्कबिशप और हंगरी के प्राइमेट 72 वर्षीय एर्दो को 2005 और 2011 में दो बार काउंसिल ऑफ यूरोपीयन एपिस्कोपल कॉन्फ्रेंस का प्रमुख चुना गया था। इससे पता चलता है कि उन्हें यूरोपीय कार्डिनल की मान्यता प्राप्त है, जिनसे मतदाताओं का सबसे बड़ा समूह बनता है।

उक्त पद पर रहते हुए एर्दो का कई अफ्रीकी कार्डिनल से परिचय हुआ क्योंकि काउंसिल अफ्रीकी बिशप कान्फ्रेंस के साथ नियमित सत्र आयोजित करती है।

कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स

मार्क्स (71) म्यूनिख और फ़्रीजिग के आर्कबिशप हैं। उन्हें फ्रांसिस ने 2013 में एक प्रमुख सलाहकार चुना था। बाद में मार्क्स को सुधारों के दौरान वेटिकन के वित्त की देखरेख करने वाली परिषद का प्रमुख नियुक्त किया गया।

कार्डिनल मार्क ओउलेट

कनाडा के 80 वर्षीय ओउलेट ने एक दशक से अधिक समय तक वेटिकन के प्रभावशाली बिशप कार्यालय का नेतृत्व किया। ओउलेट को फ्रांसिस की तुलना में अधिक रूढ़िवादी माना जाता है। लातिन अमेरिकी चर्च के साथ उनके अच्छे संपर्क हैं। उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक लातिन अमेरिका के लिए वेटिकन के पोंटिफिकल कमीशन का नेतृत्व किया है।

कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन

इटली के 70 वर्षीय पारोलिन को कैथोलिक पदानुक्रम में उनकी प्रमुखता को देखते हुए पोप बनने के प्रमुख दावेदारों में से एक माना जाता है। पारोलिन लातिन अमेरिकी चर्च को अच्छी तरह से जानते हैं। हालांकि पारोलिन ने वेटिकन की नौकरशाही का प्रबंधन किया है, लेकिन उनके पास कोई वास्तविक पादरी अनुभव नहीं है।

कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट

अमेरिकी पोप का विचार लंबे समय से वर्जित रहा है, क्योंकि भू-राजनीतिक शक्ति पहले से ही अमेरिका के पास है। हालांकि शिकागो में जन्मे 69 वर्षीय प्रीवोस्ट ऐसे पहले पोप हो सकते हैं। उनके पास पेरू का व्यापक अनुभव है, पहले एक मिशनरी के रूप में और बाद में एक आर्कबिशप के रूप में।

फ्रांसिस की उन पर वर्षों से नजर थी और उन्होंने 2014 में उन्हें पेरू के चिकलायो डायोसिस का कार्यभार संभालने के लिए भेजा था। वह 2023 तक उस पद पर रहे, फिर फ्रांसिस ने उन्हें रोम बुला लिया।

कार्डिनल रॉबर्ट सारा

गिनी के 79 वर्षीय सारा, वेटिकन के लिटर्जी कार्यालय के सेवानिवृत्त प्रमुख हैं। उन्हें लंबे समय से एक अफ्रीकी पोप के लिए सबसे अच्छी उम्मीद माना जाता था। वह रूढ़िवादियों के प्रिय हैं।

कार्डिनल लुइस टैगले

फिलीपीन के 67 वर्षीय टैगले पहले एशियाई पोप हो सकते हैं। फ्रांसिस मनीला के लोकप्रिय आर्कबिशप को वेटिकन के ईसाई धर्म प्रचार कार्यालय का नेतृत्व करने के लिए रोम लाए थे, जो एशिया और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में कैथोलिक चर्च की जरूरतों का ध्यान रखता है।

कार्डिनल माटेओ जुप्पी

जुप्पी (69), बोलोग्ना के आर्कबिशप और इतालवी बिशप कान्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं। उन्हें 2022 में चुना गया था।

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