परमाणु-मुक्त भविष्य की नैतिक घोषणा 

परमाणु-मुक्त भविष्य की नैतिक घोषणा

  राम आह्लाद चौधरी

फिलाडेल्फ़िया के ऐतिहासिक कदम ने शांति प्रेमियों के बीच उम्मीदें जगाई है।फिलाडेल्फ़िया नगर परिषद ने 20 नवंबर को मानवता के पक्ष में एक अन्यतम निर्णय लिया, जिसने न केवल शहर की निवेश प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार का मार्ग खोला, बल्कि एक बार फिर यह सिद्ध किया कि स्थानीय लोकतंत्र वैश्विक शांति स्थापित करने में भी अपनी भूमिका निभा सकता है। परिषद सदस्य निकोलस ओ’रूर्के द्वारा प्रस्तुत वह प्रस्ताव, जिसमें शहर के पेंशन एवं सेवानिवृत्ति बोर्ड से परमाणु हथियार उद्योग में लगे निवेशों की समीक्षा और उनसे विनिवेश करने का आग्रह किया गया था, यह आग्रह पारित हो चुका है। सही अर्थों में यह मात्र एक प्रशासनिक औपचारिकता न होकर एक गहरी नैतिक प्रतिज्ञा का ऐलान है।

आज जब ट्रम्प प्रशासन द्वारा परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करने और फिलाडेल्फ़िया में परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी निर्माण के प्रस्ताव जैसी भयावह संभावनाएँ सामने हैं, ऐसी स्थिति में यह विनिवेश प्रस्ताव हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण सवाल की ओर संकेत करता है। क्या सार्वजनिक धन जीवन को सुरक्षित करने में लगेगा या उन्हें नष्ट करने वाली मशीनों के पोषण में? ओ’रूर्के साफ कहते हैं कि शहर का पहला दायित्व अपने नागरिकों तथा उनके घरों, परिवहन, बच्चों की देखभाल और बेहतर सुविधाओं की ओर होना चाहिए, न कि उन हथियारों की ओर जो पूरे ग्रह के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा चुके हैं।

डिवेस्ट फिली फ्रॉम द वॉर मशीन कोएलिशन में 29 संगठन शामिल हैं। वे संगठन वर्षों से इसी बात को लेकर आवाज उठाते रहे हैं कि फिलाडेल्फ़िया के पेंशन फंड को मानवता-विरोधी हथियारों से मुक्त होना चाहिए। इस प्रस्ताव का पारित होना उसी अथक जनसंघर्ष की उपलब्धि है। जैसा कि पीजेएसएन के सह-समन्वयक डेविड गिब्सन ने कहा है कि यह “जमीनी अभियान की एक बड़ी जीत” है और यह जीत आने वाले दिनों में पेंशन बोर्ड की नीति-निर्माण प्रक्रिया को भी प्रभावित करेगी।

महिलाओं की अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्वतंत्रता लीग (WILPF) लगभग 80 वर्षों से परमाणु उन्मूलन की वकालत करती आ रही है। यह लीग इस प्रस्ताव को नैतिक निवेश की दिशा में एक दीर्घकालिक कदम बताती है। सैन्य खर्च में दुनिया भर में हुए अभूतपूर्व इज़ाफ़े के बीच फिलाडेल्फ़िया का यह निर्णय एक ऐसे प्रतिवाद की तरह उभरता है, जो यह कहता है कि संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि प्राथमिकताओं की विकृति ही सबसे बड़ा संकट है।

वर्ल्ड बियॉन्ड वॉर के डेविड स्वानसन इसे वैश्विक स्तर पर विनिवेश आंदोलनों के लिए “आशा की एक महत्वपूर्ण कड़ी” बताते हैं। वहीं फिलाडेल्फ़िया पब्लिक बैंकिंग गठबंधन यह बिल्कुल साफ करता है कि पेंशन फंड का धन मृत्यु के औजारों में नहीं, बल्कि उन परियोजनाओं में लगना चाहिए जो इस शहर के लोगों के जीवन को बेहतर बनाती हैं।

ग्रीन पार्टी ऑफ फिलाडेल्फ़िया हमेशा शांति को अपने मुख्य स्तंभों में शामिल करती है तथा वर्षों से इस आंदोलन का हिस्सा रही है। शायद सबसे मार्मिक टिप्पणी ग्रैनी पीस ब्रिगेड की ओर से आती है , जिसने दो दशकों से परमाणु-मुक्त भविष्य की माँग को लगातार जीवित रखा है। वे याद दिलाते हैं कि परमाणु हथियार निषेध संधि को 122 देश समर्थन दे चुके हैं, परंतु अमेरिका इस धरती का पहला परमाणु हमला करने वाला देश है,जो अब भी इस काम में पीछे है। ऐसे में फिलाडेल्फ़िया का यह साहसिक कदम एक नैतिक दस्तक है। सच यही है कि परिवर्तन स्थानीय स्तर पर ही शुरू होता है।

यह प्रस्ताव केवल कागज़ पर दर्ज एक नीति नहीं, बल्कि उम्मीद की वह लौ है जो दुनिया को यह बताती है कि बड़े बदलाव सरकारों के गलियारों से नहीं आता, बल्कि शहरों, समुदायों और नागरिकों की चेतना से जन्म लेता है। फ़िलाडेल्फ़िया ने आज यह साबित किया है कि शांति कोई आदर्शवादी कल्पना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विकल्प है। एक ऐसा विकल्प जो चुना जा सकता है, अपनाया जा सकता है और संस्थागत स्तर पर लागू किया जा सकता है।

फिलाडेल्फ़िया का कदम संपूर्ण मानवता के लिए एक संदेश है,जब दुनिया युद्ध के साये में खड़ी हो, तब भी शहर अपनी दिशा शांति की ओर मोड़ सकते हैं। यही स्थानीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति है और शायद यही वह दिशा है और आशा भी जो हमें परमाणु-मुक्त भविष्य की ओर ले जा सकती है।

(लेखक साहित्य -संस्कृति-शांति के अध्येता हैं )

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